Hindi Khabar : हैलो वित्त मंत्री जी, क्या आपको होम लोन चाहिए, प्लीज़ ले लीजिए ना सर...
नई दिल्ली. NNI. 5 अगस्त। अनचाही टेलिमार्केटिंग कॉल्स से हम आप ही नहीं, देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी परेशान हैं। यह और बात है कि हमारी आपकी परेशानी से सरकार और इन कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ता है लेकिन वित्त मंत्री नाराज हुए तो तुरंत एक्शन लेने का फैसला किया गया है। टेलिकॉम मंत्री ए. राजा ने अपने मंत्रालय के सेक्रेट्री से कहा है कि वह इस मुश्किल से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाएं।
महंगाई के मसले पर संसद में जारी गतिरोध खत्म करने के लिए वित्त मंत्री सोमवार की सुबह विपक्षी नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे, तभी लोन का ऑफर करने वाली कॉल आई। वित्त मंत्री को यह खल गया। इस मीटिंग में मौजूद रहे लोगों ने बताया कि मुखर्जी ने अपने असिस्टेंट से यह सोचकर मोबाइल देने को कहा कि कहीं जरूरी कॉल न आई हो। फोन पर बातचीत करते हुए मुखर्जी ने जवाब में कहा, 'नहीं, नहीं अभी नहीं। मैं एक मीटिंग में हूं।' मीटिंग में मौजूद लोगों ने फोन के बारे में पूछा तो मुखर्जी ने बताया कि होम लोन के लिए फोन था। मुखर्जी ने कहा कि उन्हें रोज चार-पांच ऐसी कॉल्स आती हैं।
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले रिलायंस इंडस्ट्री के सीएमडी और देश के सबसे रईस शख्स मुकेश अंबानी को भी होम लोन के लिए कॉल आने की खबरें आईं थीं। कुछ सांसदों की भी शिकायत है कि 'डू नॉट डिस्टर्ब' सर्विस लेने के बावजूद उन्हें लगातार इस तरह के फोन आते हैं। बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने कहा, 'यह मुसीबत बन गई है। मेरे पास रोज 30 से 40 अनचाही कॉल्स आ रही हैं। अब प्रणव बाबू को ऐसी कॉल आई है तो उम्मीद करता हूं कि कुछ कदम उठाए जाएंगे।' कांग्रेस सांसद राशिद अल्वी ने ऐसी कॉल्स पर बैन की मांग की।
वित्त मंत्री की शिकायत के बाद टेलिकॉम सेक्रेट्री पी.जे. थॉमस को लिखे नोट में राजा ने कहा है, कई प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज की पेशकश टेलिमार्केटिंग के जरिये की जा रही है, जिससे फोन कस्टमर्स को असुविधा होती है। थॉमस से मीटिंग बुलाने और ऐसी कॉल्स रोकने के लिए कदम उठाने की खातिर कहा गया है।
उधर सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी भी ऐसी टेलिमार्केटिंग एसएमएस से भन्नाई हुई हैं। उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा, 'ऐसी कॉल्स रोकने के लिए अपना नंबर जहां रजिस्टर कराना होता है, वहां मैंने करा रखा है। लेकिन रीयल एस्टेट पर मुझे दर्जनों एसएमएस मिल रहे हैं। एक कंज्यूमर होने के नाते मेरा मानना है कि यह प्राइवेसी में दखल है और इस पर बैन का सिस्टम होना चाहिए।'
शुक्रवार, 6 अगस्त 2010
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