Hindi Khabar : लेह में बादल फटने से भारी तबाही, 100 से ज्यादा मरे, सैकड़ों ज़ख्मी
लेह (जम्मू-कश्मीर). NNI. 6 अगस्त। भारत के उत्तरी छोर पर बसे लेह में प्रलय ने अपना प्रकोप दिखाया है। गुरुवार देर रात यहां बादल फटने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। घंटों तक हुई मूसलाधार बारिश और तूफान ने क्षेत्र में हजारों घरों को तबाह कर दिया। इस इलाके से देश के बाकी हिस्सों का संपर्क टूट चुका है। जम्मू-कश्मीर के पर्यटन मंत्री नवांग रिगजिन जोरा ने बताया कि अभी भी बहुत सारे लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं। इनको निकालने के लिए सेना, सीआरपीएफ और आईटीबीपी के 6000 जवानों को लगाया गया है।
हादसे का कहर इतना जबरदस्त था कि इलाके में बीएसएनएल के दफ्तर से चलने वाली सभी संचार सेवाएं ठप पड़ गई हैं। ऑफिस के साथ साथ वहां तक जाने का रास्ता भी पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। हादसे के बाद ना टेलीफोन एक्सचेंज काम कर रहे हैं और न ही एयरपोर्ट महफूज बच पाया है। रनवे पर जमा कीचड़ और रेत की वजह से फ्लाइट की आवाजाही मुमकिन नहीं हो पा रही है। संपर्क के तीसरे साधन सड़क मार्ग पर भी तूफान ने काफी असर डाला है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत कई दूसरी सरकारी इमारतें पूरी तरह से जमीदोज़ हो चुकी हैं।
लेफ्टिनेंट कर्नल जे.एस.बरार ने कहा कि श्रीनगर से 424 किलोमीटर दूर हिमालय नगर में बादल फटने की घटना हुई हैं।
ज्यादातर घटनाएं यहां से 13 किलोमीटर दूर चोगलुमसर इलाके में हुईं। राहत और बचाव के लिए सेना को मौके पर लगाया गया है। एयरफोर्स भी मदद के लिए पहुंच गई है। पर्यटक और दूसरे लोगों को ऊंचाई वाली जगहों पर पहुंचा दिया गया है। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया है लेकिन ज्यादातर अस्पताल भी कुदरत के इस कहर से नहीं बच पाए। लिहाजा आईटीबीपी के हॉल को ही अस्पताल में बदल दिया गया है।
लद्दाख के डीसी सेरिंग आंगचुक ने बताया कि हादसा रात के 12 बजे हुआ। पीड़ितों की मानें तो गुरुवार रातभर आसमान में बिजलियां चमकती रहीं। रात में जब बारिश शुरू हुई तो नीचे सुनामी की तरह लहरें उठने लगीं। इलाके के ज्यादातर मकान कच्ची ईंटों से बने थे इसलिए उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा।
शुक्रवार, 6 अगस्त 2010
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